गंभरी देवी
गंभरी देवी (1922-2013) हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की एक प्रसिद्ध लोक गायिका और नर्तकी थीं। उन्हें हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति में उनके योगदान के लिए मान्यता प्राप्त है।
उनका जन्म और प्रारंभिक जीवन
गंभरी देवी का जन्म 1922 में बिलासपुर जिले के बंदला गांव में हुआ था।
उन्होंने 8 साल की उम्र से ही प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न लोक गीतों और नृत्यों को गाया और प्रदर्शन किया।
उनके लोकप्रिय गीत
उनके सबसे लोकप्रिय गीतों में “छम छम ता रोन्दी”, “मेरे म्हारू गाम”, और “ओ मेरे धरती माता” शामिल हैं।
उनकी उपलब्धियां
- गंभरी देवी ने अपने जीवनकाल में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए।
- 2011 में उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती के अवसर परनृत्य और नाटक में उनके योगदान के लिए संगीत नाटक अकादमी द्वारा टैगोर अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- 2001 में उन्हें हिमाचल अकादमी ऑफ़ आर्ट्स से पुरस्कार मिला।
उनकी मृत्यु:
8 जनवरी 2013 को 91 वर्ष की आयु में गंभरी देवी का निधन हो गया।
उनकी विरासत:
- गंभरी देवी हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति की एक प्रतिष्ठित हस्ती थीं।
- उन्होंने अपने गीतों और नृत्यों के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की संस्कृति को दुनिया भर में प्रसिद्ध किया।
- उनकी विरासत आज भी जीवित है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- उन्होंने कभी भी औपचारिक संगीत प्रशिक्षण नहीं लिया।
- उन्होंने अपने जीवनकाल में 100 से अधिक देशों में प्रदर्शन किया।
- उन्हें “हिमाचल प्रदेश की लोक रानी” के रूप में जाना जाता था।
गंभरी देवी हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति की एक अनमोल रत्न थीं। उनकी मृत्यु एक अपूरणीय क्षति है।