नोरा रिचर्ड्स ( आयरिश अभिनेत्री और थिएटर कलाकार-हिमाचल प्रदेश) | Nora Richards (Irish Actress and Theater Artist-Himachal Pradesh)

Nora Richards

नोरा रिचर्ड्स ( आयरिश अभिनेत्री और थिएटर कलाकार-हिमाचल प्रदेश)
Nora Richards (Irish Actress and Theater Artist-Himachal Pradesh)

नोरा रिचर्ड्स
नोरा रिचर्ड्स हिमाचल में जन्मी नहीं थीं मगर हिमाचल उनकी कर्मभूमि रहा है। नोरा रिचर्ड्स, जिन्हें कभी-कभी “पंजाब की लेडी ग्रेगरी” भी कहा जाता था, एक आयरिश अभिनेत्री और थिएटर कलाकार थीं, 60 साल उन्होंने पंजाब (जिसमें उस समय आज के हिमाचल का बड़ा हिस्सा शामिल था) में थिएटर को मजबूत करने का काम किया। 1920 में उनके पति की मृत्यु हुई तो इंग्लैंड चली गईं मगर 1924 में भारत आ गईं। वो कांगड़ा घाटी में बसीं और अंद्रेटा में रहने लगीं।
दरअसल कांगड़ा घाटी में कई अंग्रेजों ने जमीन जायदाद बना ली थी। ऐसे की एक अंग्रेज अधिकारी ने इंग्लैंड जाने से पहले नोरा को अपनी संपत्ति दे दी थी जिसका नाम वुडलैंड्ट एस्टेट था। नोरा गांव के लोगों में रहीं और मिट्टी का कच्चा मकान बनाया जैसा आम लोगों का था। घर का नाम उन्होंने चमेली निवास रखा। यहां उन्होने ड्रामा स्कूल खोला जहां पर खुले में उनके स्टूडेंट गांव वालों के सामने नाटक करते।
पृथ्वीराज कपूर और बलराज साहनी जैसे बड़े नाम भी यहां आया करते। बाद में प्रोफेसर जय दयाल, चित्रकार शोभा सिंह और फरीदा बेदी जैसे लोग जो नोरा के दोस्त थे, वे भी वुडलैंड एस्टेट में रहे। जिस दौर में अंग्रेज और अंग्रेजीदां भारतीय यहां की परंपराओं का मजाक उड़ाया करते थे, नोरा अपने नाटकों के जरिये उन परंपराओं और मान्यताओं का समर्थन करती थीं। उन्होंने नाटकों के जरिये समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का भी काम किया।
• भारत में योगदान उन्होंने अपने शिष्य आई.सी. नंदा द्वारा लिखे पहले पंजाबी नाटक “दुलहन” (“दुल्हन”) का निर्माण किया।
• कला को बढ़ावा देना: उन्होंने लाहौर में सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया और नाटकों को निर्देशित किया। उन्होंने छात्रों को अपने नाटक लिखने और उन्हें प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
• पंजाबी संस्कृति पर प्रभाव: उन्होंने कई पंजाबी विषयों को अपने लेखन में शामिल किया और पंजाबी नाटकों के विकास में अहम भूमिका निभाई।
• सम्मान और मान्यता: 1970 में, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला ने उन्हें पंजाबी संस्कृति, विशेष रूप से पंजाबी नाटक में उनके योगदान के लिए मानद डीलिट की उपाधि से सम्मानित किया।
• दिलचस्प बात: अपनी मृत्यु से पहले, उनकी इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए, जिसे उनके प्रशंसकों ने पूरा किया।
आप अंद्रेटा, हिमाचल प्रदेश में उनके द्वारा स्थापित कलाकारों के गांव को देख सकते हैं। हालांकि आज थोड़ी उपेक्षित, यह जगह उनकी विरासत को संजोती है।

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