डिकी डोल्मा: हिमाचल की लहरों पर चढ़ने वाली बेटी
डिकी डोल्मा हिमाचल प्रदेश की एक प्रसिद्ध पर्वतारोही हैं, 19 साल की उम्र में 10 मई 1993 को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह कर लाहौल स्पीति की एक लड़की रातों-रात सुर्खियों में आ गई।
डिक्की डोलमा की इस कामयाबी ने उनके नाम को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी एंट्री दिलाई है। फिलहाल डिक्की डोलमा मनाली के समीप अटल बिहारी मांट्रेनिक इंस्टीट्यूट अलेउ में बतौर इंस्ट्रेक्टर तैनात हैं। दो बच्चों की मां डिक्की डोलमा आज भी उतने ही जुनून के साथ भावी पीढ़ी को पर्वतारोहण के गुण सिखा रही हैं।
प्रारंभिक जीवन और उपलब्धियां:
- डिकी का जन्म 5 अप्रैल 1974 को मनाली के पास पालचान गांव में हुआ था।
- उन्हें बचपन से ही पहाड़ों और साहसिक कार्यों का शौक था।
- केवल 16 साल की उम्र में ही उन्होंने औली स्की महोत्सव में भाग लिया और स्कीइंग में भी अपना जौहर दिखाया।
- माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का सपना उन्हें बचपन से था, जिसे उन्होंने 1993 में 10 मई को पूरा किया। उस समय वह दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला एवरेस्ट शिखर विजेता बनीं।
- उन्होंने 1999 में एशियाई शीतकालीन खेलों में भी भाग लिया।
विशेष योगदान:
- डिकी की उपलब्धि ने न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया।
- उन्होंने युवाओं, खासकर महिलाओं को साहसिक कार्यों के लिए प्रेरित किया।
- वह पर्वतारोहण के क्षेत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण की एक प्रतीक बन गईं।
वर्तमान जीवन:
- वर्तमान में डिकी सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।
- वह “स्नो लेपर्ड एडवेंचर्स” नाम से एक पर्वतारोहण कंपनी चलाती हैं, जो युवाओं को साहसिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करती है।
- वह कई सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेती हैं और महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती हैं।
डिकी डोल्मा हिमाचल प्रदेश की बेटी होने के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी कहानी दृढ़ संकल्प, साहस और सफलता का प्रतीक है।
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